पौध आधारित संधि क्यों?
पशुपालन जलवायु संकट का एक प्रमुख कारण है
धरती पर अभी जलवायु, महासागर और जैव विविधता का संकट है। जीवाश्म ईंधन और पशुपालन बढ़ती हुई ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ व्यापक जैव विविधता हानि, बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, प्रजातियों के विलुप्त होने, पानी की कमी, मिट्टी के क्षरण और महासागर मृत क्षेत्रों के पीछे के बड़े कारण हैं ।
केवल जीवाश्म ईंधन को कम करने की पहल करना पर्याप्त नहीं है - हमें भोजन प्रणालियों पर भी कार्रवाई की आवश्यकता है; यहीं से पौध आधारित संधि सामने आती है । तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसें-कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड रिकॉर्ड स्तर पर हैं और तेजी से बढ़ती जा रही हैं; पशुपालन तीनों को बढ़ाता है, लेकिन विश्व स्तर पर मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन का मुख्य कारण है ।
पशु कृषि अमेज़ॅन में स्वदेशी भूमि चोरी को चला रही है; नस्लीय और जातीय रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों को कारखाने के खेतों और बूचड़खानों से विषाक्त अपशिष्ट की असमान मात्रा के साथ-साथ श्रमिकों को विषाक्त रसायनों, खतरनाक काम करने की स्थिति और गंभीर आघात के संपर्क में लाना।
वैज्ञानिकों ने आईपीसीसी के छठे आकलन रिपोर्ट में चेतावनी दी कि हमें मीथेन के उत्सर्जन में कटौती करने की जरूरत है या हम विनाश के लिए तैयार रहें। प्रमुुुख समीक्षक ड्यूवुड जेलके ने कहा कि मीथेन में कटौती शायद तापमान को पूर्व ओद्योगिक स्तर से 1.5℃ की वृद्धि पर रोकने का एकमात्र तरीका था, अन्यथा खराब मौसम की घटनाओं में वृद्धि होगी और धरती के पर्यावरण में विनाशकारी बदलाव वाली चरम अवस्था की सीमाएं लांघी जा सकती है, जिन्हें पुनः पूर्व स्थिति में वापस नहीं लाया जा सकेगा । जेलके बताते है कि "वर्तमान और सन 2040 के मध्य ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए मीथेन में कटौती करना एक अच्छा अवसर है । हमें इस आपातकाल का सामना करने की जरूरत है ।"
संक्षेप में, तीन ग्रीनहाउस गैसों से तत्काल और समान रूप से निपटा जाना चाहिए । पौध आधारित भोजन और स्वच्छ ऊर्जा इस आपदा को कम करने हेतु संभव समाधान हैं - हमें सिर्फ उन्हें लागू करने की जरूरत है ।
पारंपरिक रूप में व्यापार विकल्प नहीं है
हमें उपलब्ध विज्ञान के आधार पर तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है, जो एक समझौते के तहत समाज के विभिन्न क्षेत्रों के सभी कारकों को एक साथ लाएगा, जो जलवायु संकट से सक्रिय रूप से निपटने की पहल करेगा ।
पौध आधारित संधि की इतनी अधिक तत्काल आवश्यकता कभी नहीं रही है । पेरिस जलवायु समझौता पशुपालन पर चुप है, बावजूद इसके कि ये ग्लोबल वार्मिंग के लिए एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता और जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता रहा है । जैसा कि इंडिपेंडेंट पॉलिसी इंस्टीट्यूट के चैथम हाउस ने अपनी 2014 की रिपोर्टमें बताया, ' मांस और डेयरीउत्पादों की वैश्विक मांग को स्थानांतरित करना जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रमुख रूप से जरूरी है । इस स्थिति का ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता माइकल क्लार्क सहित दुनिया भर के वैज्ञानिकों द्वारा दृढ़ता से समर्थन किया जाता है, जो बताते हैं कि ' भले ही जीवाश्म ईंधन का उत्सर्जन तुरंत बंद हो, लेकिन अकेले हमारे भोजन प्रणालियों से उत्सर्जन वैश्विक तापमान में 1.5℃ से अधिक की वृद्धि कर सकता है ' ।
पॉट्सडेम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च केस्वीडिश निदेशक, जोहान रोकस्त्रां, जिन्होंने पहली बार हमारे धरती की जीवन संबंधी सीमाओं का निर्धारण किया है, कहा ' जिस जोखिम का हम सामना कर रहे हैं वह इतना बड़ा है कि पारंपरिक तरीके से व्यापार जारी रखना कोई विकल्प नहीं है ' ।
पेरिस समझौता क्या है?
2015 में अपनाया गया, पेरिस जलवायु समझौता एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि है जो जलवायु संकट से निपटने का कार्य करने के लिए दुनिया की लगभग हर सरकार को प्रतिबद्ध करती है ।
इस संधि का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है । पेरिस समझौते में स्वीकार किया गया है कि किसी भी तापमान वृद्धि के परिणामस्वरूप हमारे ग्रह पर जीवन की स्थिति में बड़े फेरबदल होंगे, लेकिन 2 डिग्री सेल्सियस से परे तापमान वृद्धि बहुत विनाशकारी होगा । तापमान में किसी भी प्रकार की वृद्धि गर्मियों में आर्कटिक क्षेत्र के बर्फमुक्त होने की, स्तनधारियों के पर्यावास के नष्ट होने की व जंगलों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि की संभावनाओं को बढ़ाती है,संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तनद्वारा बताया गया ।
अकाट्य वैज्ञानिक सबूत
पेरिस समझौते ने परिवर्तन को देशों, व्यवसायों और व्यक्तियों पर छोड़ दिया है । हालांकि, हमारी भोजन प्रणाली में परिवर्तनकारी आवश्यकताओं को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया है और कई बार सरकारों के द्वारा भी इसका विरोध किया गया है ।
अकाट्य वैज्ञानिक साक्ष्य हमारे धरती की जीवन संबंधी सीमाओं पर ओद्योगिक पशुपालन के दुखद प्रभाव का पर्दाफाश करता है और एक आवश्यक समाधान के रूप में एक पौध आधारित खाद्य क्रांति की ओर इशाराकरताहै । प्रोवेज इंटरनेशनलऔर अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों के प्रमुख वैज्ञानिकों के अनुसार, किसी भी सरकार के लिए पौध आधारित आहार की ओर एक प्रमुख बदलाव के बिना पेरिस समझौते के तहत निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना असंभव होगा, भले ही वर्तमान जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन पूरी तरह से रोक लिया जाए।
पशु कृषि 'सभी खाद्य पदार्थों के वार्षिक उत्सर्जन के लगभग 66% के लिए जिम्मेदार है, फिर भी केवल 18% कैलोरी प्रदान करता है'
– जोहान फ़ॉक, 2020
आग में कूदना
पृथ्वी का औसत तापमान पहले से ही पूर्व औद्योगिक स्थिति सेे 1 डिग्री सेल्सियस अधिक है, और पिछले पांच साल की अवधि में रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म रहा है ।2021 में संयुक्त राष्ट्र के मौसम एजेंसी, विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने बताया कि बड़ी संभावना है कि औसत वैश्विक तापमान में अगले पांच वर्षों में से कम से 1 में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक वृद्धि होगी, 2021-2025 के बीच कम से कम किसी एक वर्ष के सबसे अधिक गर्म होने की संभावना लगभग 90% है ।
वैश्विक तापमान वातावरण में कार्बन डाइआक्साइडकी मात्रा से जुड़े हुए हैं ।पृथ्वी संस्थान से डॉ जेम्स ई. हैनसेन केअनुसार, कार्बन डाईऑक्साइड कीसुरक्षित स्तर प्रति मिलियन (पीपीएम) 350 भाग हो सकती है, लेकिन यह स्तर 1998 में ही पहुंच गया था और हम अप्रैल2021 में 420 पीपीएम के रिकॉर्ड उच्च से अधिक है । आईपीसीसी का मानना है कि एक बार जब हम 450 पीपीएम से अधिक हो जाते हैं, तो 2डिग्रीसेल्सियस तापमान वृद्धि को कोई रोक नहीं पाएगा ।
पौध आधारित संधि क्यों?
पेरिस समझौते की तरह, संयंत्र आधारित संधि यह मानती है कि कोई भी एक देश पशु कृषि के पारिस्थितिक प्रभाव से खुद से नहीं निपट सकता है। जलवायु आपदा को रोकने के लिए वैश्विक आपातकाल का वैश्विक समाधान आवश्यक है।
दोनों व्यक्तिगत और प्रणाली परिवर्तन के माध्यम से, विभिन्न समुदाय, व्यापार और सरकारें सभी स्तरों और हस्तक्षेप के हर बिंदु पर एक साथ काम कर सकते हैं ।
शाकाहारी आहार को अपनाना एकमात्र सबसे बड़ी कार्रवाई है जो एक व्यक्ति ग्रह के लिए कर सकता है और आईपीसीसी इस बात से सहमत है कि पौधे आधारित आहार की ओर बदलाव खाद्य संबंधी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन ने गणना की कि खाद्य प्रणाली में बड़े बदलाव आवश्यक होंगे, यानी, खाद्य उत्सर्जन को 70% तक कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर पौधे आधारित आहार अपनाने वाला हर कोई।
उत्सर्जन से परे
पेरिस समझौते के एक साथी के रूप में, पौध आधारित संधि उन सार्थक समाधानों का एक ठोस मार्ग है जो कि धरती पर हमारे प्रभाव को कम करता है । हमारे तीन कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धता के साथ: खत्म करना, पुनः केंद्रित करना और पुनः स्थापित करना, राष्ट्रों को कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य को पूरा करने, वन्य स्वरूप को वापस लाने और वनीकरण के माध्यम से वातावरण से अतिरिक्त कार्बन अवशोषित करके हमें सुरक्षित स्तर पर ला सकते हैं । इतना ही नहीं, बल्कि एक पौध आधारित संधि बड़ी चिंता वाले कई अन्य क्षेत्रों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी, जैसे:
- मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर
- वनों की कटाई और भूमि उपयोग परिवर्तन
- प्रजातियों के विलुप्त होने और जैव विविधता हानि
- जल और वायु प्रदूषण
- जलीय तंत्रों का सुपोषण
- महासागर मृत क्षेत्र, एसिडिफिकेशन और कोरल ब्लीचिंग
- पशुजन्य रोग और महामारी का खतरा
- लोक स्वास्थ्य और सबकी भलाई
- सबके लिए भोजन की उप्लब्धता और पहुंच
- स्थानीय समुदायों व जनजातियों की सुरक्षा
वास्तव में, पौध आधारित भोजन प्रणाली की ओर एक सकारात्मक बदलाव धरती को बचाने के लिए किये जाने वाले अन्य जलवायु समाधानों से अधिक प्रभावशाली है।
अब समय है
पेरिस समझौते का पहला वैश्विक पुुनः मूल्यांंकन2021-2023 से हो रहा है और यह प्रक्रिया हर 5 साल में दोहराई जाएगी । पुुनः मूल्यांंकन दुनिया की सामूहिक प्रगति का आकलन करेगा ।
पुुनः मूल्यांंकन के निष्कर्ष नीति-आदेशात्मक नहीं होंगे, हालांकि उनमें सिफारिशें, बेहतर कार्यप्रणालियां, नए अवसर और सबक सीखे जाएंगे ।
पौध आधारित संधि को उन सिफारिशों में शामिल करने का एक अवसर है । अगर हम एक अभियान का निर्माण करें और जनता, वैज्ञानिकों, व्यवसायों और नगर सरकारों के माध्यम से दबाव बनाकर हम सरकारी नीतियों को आकार देने और सुधार करने में मदद कर सकते हैं । यह अपनी आवाज़ उठाने का समय है!
हम अभियान में तेजी और दबाव कैसे बनाते हैं?
अस्तित्व के खतरे के बावजूद हमारा गैरजिम्मेदाराना रवैया बड़ी गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन अभी भी सही रास्ते की ओर मुड़ा जा सकता है । लेकिन हमें अब कार्रवाई करनी चाहिए और तेजी से आगे बढ़ना चाहिए ।
और यही वह जगह है जहां आप आते हैं! चाहे आप अकेले कार्य कर रहे हों या जलवायु कार्रवाई समूह, स्कूल, अस्पताल, व्यवसाय या शहर के हिस्से के रूप में कार्य कर रहे हों, आप परिवर्तन के लिए बढ़ते डू-इट-टू-टुगेंड आंदोलन का हिस्सा बन सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्जवल भविष्य बनाने में मदद कर सकते हैं। एक PBT टीम शुरू करने या परिचयात्मक कॉल के लिए पंजीकरण करने के लिए यहां क्लिक करें ।
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